ARHAM VIJJA – SAMAYIK SADHANA

ABOUT – SAMAYIK SADHANA

दैनंदिन जीवन में मनुष्य का व्यवहार कई बार समता की सीमाओं का उल्लंघन कर जाता है। वह मोह और कषायों से आवेष्टित होकर स्वयं के साथ तथा दूसरे प्राणियों एवं मनुष्यों के साथ सम, सरस, और निष्पक्ष व्यवहार नहीं कर पाता है। अपने व्यवहार की इन विषमताओं को घटाने तथा समाप्त करने के लक्ष्य से सामायिक की आराधना की जाती है। इस प्रकार सामायिक एक आध्यात्मिक साधना होने के साथ ही जीवन व्यवहार को संतुलित एवं प्रभावशाली बनाने का निरापद उपाय भी है।

सामायिक से आत्मा की सुप्त शक्तियों का जागरण और व्यक्तित्व का रूपांतरण होता है। सामायिक साधना का शुभारंभ भी है और साधना की निष्पत्ति भी। गुरुदेव ऋषि प्रवीण सामायिक के प्रत्येक सूत्र और विधि बहुत ही कुशलता से उद्घाटित करते हैं। वे हमें अतिचार व दोष, आलोचना व प्रतिक्रमण आदि समानार्थी लगाने वाले शब्दों के भिन्न अर्थ, यथार्थ अर्थ का बोध कराते हैं।

गुरुदेव श्री ऋषि प्रवीण, सामायिक के प्रत्येक सूत्र और विधि के रहस्यों को बहुत ही कुशलता से उद्घाटित करते हैं। वे हमें अतिचार व दोष, आलोचना व प्रतिक्रमण आदि समानार्थी लगनेवाले शब्दों के भिन्न अर्थ, यथार्थ अर्थ का बोध कराते हैं।

WHY TO DO THIS COURSE?

PROCESS/VIDHI

सामायिक के दौरान स्पंदनों की शक्ति का प्रस्फुटन एक सर्वथा नवीन एवं वैज्ञानिक अवधारणा है। सामायिक के इस आयाम के साथ उपाध्याय प्रवर कहते हैं – “सामायिक का आशय है 48 मिनट तक मन, वचन और काया के नकारात्मक स्पन्दनों का निरोध। ऐसा होने पर इस अवधि में सकारात्मक स्पंदनों की ऊर्जा बनेगी और नकारात्मक स्पन्दनों की ऊर्जा का प्रवाह टूटेगा।

इस प्रकार से ऊर्जा का जो विस्फोट और प्रस्फुटन होगा, वह जीवन को रूपांतरित करने वाला होगा। सामायिक की गहराई में जाकर गुरुदेव कहते हैं ” सकारात्मक स्पंदन सामायिक का लक्ष्य नहीं है। वस्तुतः नकारात्मकता से मुक्त होना संभव ही नहीं है। सामायिक का आशय है दोनों धाराओं को समान स्तर पर ले आना। इस प्रक्रिया से गुज़रकर व्यक्ति समता और तितिक्षा के रमणीय उद्यान में विहार करने का सामर्थ्य पा लेता है। इसका प्रशिक्षण 2011, बेंगलुरु से प्रारम्भ हुआ|

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