ARHAM VIJJA – ARHAM GARBHASANSKAR

ABOUT – ARHAM GARBHASANSKAR
बीज का स्वभाव, बीज के गुण ही पौधे में, पत्ते में और फूलों में आ जाते हैं। यदि बीज में समस्या होगी तो यह समस्या कई गुना बढकर पत्तों और फूलों में पहुँच जाती है। और अगर बीज में समाधान होगा, तो यह समाधान भी कई गुना बढकर पत्तों और फूलों तक पहुंचता है। पत्ते, फूल और फल पे किए गए उपचार एक अल्पकालिक समाधान है। बीज का शुद्धिकरण ही शाश्वत और सम्पूर्ण समाधान है। यही प्रक्रिया मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन में दिखाई देती है। उसकी सोच, उसकी भावनाएं एवं उसके चरित्र का बीज माँ के गर्भ में तैयार होता है। वहीं उसके भावी जीवन का निर्माण होता है।
अपने पिछले जन्म से जीव जो संस्कार लेकर आया है, जो सकारात्मक एवं नकारात्मक गुण लेकर आया है, जो पाप-पुण्य लेकर आया है, इनमे से कौन सा सक्रिय होगा और कौनसा निष्क्रिय रहेगा, इसका निर्णय गर्भ में ही होता है। अर्हम् गर्भसंस्कार साधना का प्रयास है – युगपुरुष का जागरण। यह अर्हम् विज्जा फाउंडेशन के अंतर्गत गर्भसाधना का कार्यक्रम है। युग को परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के निर्माण का कार्यक्रम है। यहाँ युगपुरुष का चुनाव लिंग के आधार पर नहीं है, युगनिर्माता नर भी सकता है, नारी भी हो सकती हैं।
SIDHANTIC PRAMAN
महावीर का यह सिद्धांत है कि गर्भस्थ जीव का यदि गर्भ में आयुष्य पूर्ण हो जाये तो वो चेतना नरक में जा सकती है, देव में जा सकती है, पशु भी बन सकती है, और मनुष्य भी बन सकती है। उस जीव को काम करने की, उसकी भावनाओं को व्यक्त होने की जगह ही नहीं मिली। उसको क्रिया-प्रतिक्रिया का कोई अवसर ही नहीं मिला है। इंद्रभूति गौतम ने परामात्मा से पूछा कि जब उसको क्रिया करने का कोई स्वातंत्र्य ही नहीं है, तो उसको नरक गति और देवगति क्यों मिलती है?
किस आधार पर यह तय होता है? और परमात्मा ने उसका उत्तर दिया कि जिसके गर्भ में वो जीव – उस माँ की जो अनुभूति होगी, भावना होगी मनोदृष्टि होगी, दृष्टिकोण होगा – यदि वह नकारात्मक है तो उसी के आधार पर जीव का भविष्य बनेगा। यदि सकारात्मक है तो गर्भस्थ जीव का भविष्य भी वैसा ही बनेगा। भगवती सूत्र के एक सन्दर्भ और इसी के आधार पर गुरुदेव ऋषि प्रवीण के चिंतन एवं साधना, तप से अर्हम् गर्भ साधना की नींव बनी। इसका प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ 1996, इंदौर से।
चेतना को निमंत्रण कर, उसे भगवत शक्ति सम्पन्न बनाना, उसका बहुआयामी विकास एवं आध्यात्मिक उत्थान हो इसलिए माता-पिता बनने की इच्छा रखने वाले और गर्भधारणा कर चुके दंपत्ति अर्हम् गर्भसाधना के प्रशिक्षण में जुड़े और दिव्यता की अनुभूति करें।
WHY TO DO THIS COURSE?
PROCESS/VIDHI
इस कार्यक्रम के तीन चरण है
गर्भधारणा पूर्व –
एक अलौकिक चेतना को आमंत्रण देने और उसको रिसीव (receive) की प्रोसेस
गर्भावस्था –
आये हुए जीव को सुरक्षा, पोषण और सही चरित्र की ब्लू प्रिंट (blue-print) देने की तकनीक
प्रसूति पश्चात –
नवजात बालक को सही तरह से सँभाल करने, प्रसूति पश्चात माता को सही शक्ति पाने के सूत्र
