ARHAM VIJJA – ARHAM PARENTING

ABOUT – ARHAM PARENTING
माता पिता केवल संतति के जन्मदाता ही नहीं अपितु उसके भाग्य निर्माता भी होते हैं। भाग्य निर्माता के दायित्व को कैसे निर्वाह करें और मातृ देवो भवः, पितृ देवो भवः की अनुभूति बच्चों को हो, ऐसे माता पिता बनें, यही अर्हम् पेरेंटिंग का लक्ष्य है। पिता से संतति को विकास का आकाश मिले, आतंक से मुक्ति मिले, खतरों से खेलते हुवे, आसमान के ऊंचाई को छुने की चाह मिले और माँ से संतति को पोषण, आधार, वात्सल्य और शक्ति मिले तो संतति समर्थ, सशक्त और सुरक्षित होगी।
जब बच्चा छोटा होता है तो उसका पूरी दुनिया माता पिता में समायी होती है। माता पिता के बिना चंद पल भी वो बिता नहीं पाता। और यही बच्चा बड़ा होने पर माता पिता से दूर रहना पसंद करता है, दूर जाने के बहाने खोजता है। इसका कारण क्या है? इसका जिम्मेदार कौन है? ये रिश्ता जो निष्ठा एवं समर्पण के साथ जन्मा था उसमे अलगाव आने का कारण क्या है? इस रिश्ते में बने फासले को काम करना, इस रिश्ते में श्रद्धा और आस्था का प्रत्यावर्तन करना इसका प्रत्यक्षिक प्रशिक्षण देना का कार्यक्रम है अर्हम् पेरेंटिंग। इसका प्रशिक्षण 2007, चिंचवड़ स्टेशन, पुणे से प्रारम्भ हुआ।
मातृ देवो भवः पितृ देवो भवः बनने का प्रत्यक्षिक प्रशिक्षण लेने के लिए एवं अपने अंदर छुपे हुवे अर्हम् माता और पिता को उद्घाटित करने के लिए है – अर्हम् पेरेंटिंग।
WHY TO DO THIS COURSE?
PROCESS/VIDHI
- बच्चों के सवालों को सही दिशा कैसे दी जाए ताकि वे ज्ञानयात्री बनें
- बच्चों के साथ संवाद कैसा हो ताकि सम्भाषण कला में सफल बनें
- माता-पिता के नज़र आशीर्वादरूप, हाथ वरदहस्त और चरण अभयदाता बनें, इसकी कला-विज्ञान सिखाता है अर्हम् पेरेंटिंग
