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Data breaches and other types of modern, large-scale cyberattacks have been making headlines for more than a decade, but recently, it seems like organizations in the life sciences and healthcare industry have been taking on more than their fair share. As it turns out, it doesn’t just seem that way – it’s actually happening according to Verizon’s 2017 Data Breach Investigations Report, which states that 15% of these attacks hit healthcare organizations.

भयमुक्त होते नही तब तक अहंकार से मुक्ति नही ।

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Data breaches and other types of modern, large-scale cyberattacks have been making headlines for more than a decade, but recently, it seems like organizations in the life sciences and healthcare industry have been taking on more than their fair share. As it turns out, it doesn’t just seem that way – it’s actually happening according to Verizon’s 2017 Data Breach Investigations Report, which states that 15% of these attacks hit healthcare organizations.

चातुर्मास पश्चात प्रथम विहार करते हुअे उपाध्याय प्रवीण ऋषीजी म.सा आदि ठाणा मोतीलाल जी भलग ट की विंनती स्वीकारते हुए श्री संघ खैरता बाद बधारे । म.सा. ने  सुधर्मा स्वामी द्वारा रचित परमात्मा प्रभु महावीर की स्तुति गान ”विरत्तुई”  की  प्रवचन श्रुंखला में  गाथा का विवेचन करते  हुए  कहा –

भक्त भगवान को जब महसूस करता है , ओर भगवत्ता की अनुभूती को जब शब्द देता है ,उन शब्दों को सुनते2 कई जोगों को भगवत्ता की अनुभूती हो जाती है  । मिरा के भजन लोगों को आज भी भक्ति में झुमाने में मजबुर कर देते है ।  वैसे ही प्रभु महावीर का सुरदास पंचम गणधर सुधर्मा स्वामी । सुरदास ने तो केवल अपनी अंतर  की आॅखों से श्रीकृष्ण  को देखा है , सुधर्मा  स्वामी ने अंतरबाहय परमात्मा को देखा ओर जाना है । सुधर्मा स्वामी परमात्मा को महसूस करते हुअे अनुठे पाडाव पर पहुचं रहे है । भय को दुसरों को देते हुअे आप निश्चित  नही हो सकते । ये सबसे खतरनाक फसल है जो कई गुणा होकर लौटती है  । कल्पना किजीए , गुरू ओर चेले के बीच में भय का संबंध हो गया , चेले ने गुरू को परेशान किया ओर गुरू चेले को डराने, मारने भय देने गया । चेला तो भाग गया , लेकिन गुरू चंडकोशिक बन गया । कितना भयानक बल का परिणाम है । भय देने गया और स्वयं भयभित होकर जिने लगा । गुरू ने चेले से कहा ये सब्जी जहरीली है , इसे खायेगा तो मौत हो जायेगी । इसे सही जगह पर परठ कर आ जा । और किसी जीव को यह जहर चखना नही पडे  । परठने ही जा रहा था , एक बूंद जमींपर पडी , उसके गंध से सेंकडो चिंटीया वहाॅपर आ गई । जिस के मुह को लगी , लौट कर नही आ सकी । एक बुंद से सेंकडो चिटीयाॅं मौत के मुंह में चली गई । एक स्वयं का जीव बचाने के लिये पुरी सब्जी परठाउंगा तो कितनी जीवों की हत्या होगी , ये सोचकर वो उसे पी जाता है । गुरू ने कहा था, ये जहर है । अंदर में अभय था इसलिये दुसरों से डर नही लगा ।

जीवन में सर्वोच्च भय मौत का है । मौत का भय ना हो तो आधे अस्पताल बंद हो जायेंगे । मौत दिखती नही लेकिन डराती है । बिना अनुभव लिये मौत से डरते है । मौत चुभने से पहले पिडा देती है । मौत से किसी को मुक्त करना हो तो अंदर में रोम2 में अभय लगता है । मै डरूंगा नही ओर डराउंगा नही । डरनेवाला ही डराता है  । दुनीया के एक मात्र भगवान है तीर्थंकर जिनके पास शस्त्र नही । दुनीया के सारे भगवान सशर्त कृपा बरसाते है । महावीर दुश्मन  पर भी कृपा बरसाते है । दुनीया में आतंकवाद फेलने का कारण भी यही है , भक्तों के प्रेराणा स्त्रोत भगवान शस्त्रधारी है तो भक्त भी वेसे ही बनेंगे । अर्जुनमाली यदी मृद्गरपानी का भक्त नही होता , तो जिंदगी में हत्यारा बनने का सवाल ही नही उठता । सुदर्शन  परामात्मा का भक्त ना भयभित होता है ना भयभित करता है , ओर अभय में से वो क्रांती जनमती है की जिसने किसीने उम्मीद नही की थी । अर्जुनमाली परमात्मा से दिक्षीत होकर भी दुनीया ने उसे स्विकार नही किया ।

अर्जुनमाली फिर डरा नही और डराया नही । किसी को गाली और थप्पड का भी जबाब नही दिया ।

परमात्मा कहते है ना भय दो और ना ही भय लो । बच्चें को डराकर , मारकर कोई  आज तक सुधरा नही । जिसे जन्म दिये उस बच्चे को डरानेवाले माॅं बाप को सामायिक करने का हक्क नही । कई बार सामायिक करते समय भी डराते है । अंदर का भय ऐसा निकलता है । क्रोध मान माया लोभ इन कषायों का बाप है  भय ।  जब तक अंतर में भय है , गुस्सा आना ही है । लोभ रहना ही है । भयमुक्त नही होते तब तक अहंकार से मुक्ति नही ।  वस्तु देना दान नही । धन लेकर जन्में नही और धन लेकर मरोगे नही । स्वयं को  देना , समर्पित करना ये सर्वोच्च दान है  ।  बच्चे कमजोर होता है , उसपर रहम करना चाहिए , मारना नही ।  परमात्मा के पास अभय की अनुभूती होती है । परंपरागत वैरी परमात्मा के समवशरण में भयमुक्त होते है । खरगोश को बिल्ली से , सांप को नेवले से, बकरी को शेर से भय नही लगता ।  अपनों को अपनों से डर नही लगे । जिसे अभय की अनुभूती हुअी , उसे परमात्मा मिल गये । सुदर्शन  ने कृपा की मांग नही की । अभयदान दिया तो बिन मांगे कृपा मिल गई । मेघ कुमार माॅं के गर्भ में , उसकी तमन्ना थी की बिन मौसम बारीश  हो जाय ।  उसकी तमन्ना पुरी करने के लिये अभय कुमार तेला करता है ।  मेघ कुमार के जीव ने पिछले जन्म में खरगोश  को अभयदान दिया । एक खरगोश  के लिये स्वयंको कुर्बान कर दिया । तो उसकी तमन्ना पुरी करन देवता धरती पर आते है ।

संत वृन्द  ६ नवम्बर को श्री शाम को बंजारा हिल्स स्थित  किमती परिवार के निवास स्थान पर पधारे  I  ७ नवम्बर को प्रातः ८.३० बजे आप रामदेव राव अस्पताल , कुकुट पल्ली , पधारेंगे I महावीर डायलिसिस  सेंटर द्वारा आयोजित डायलिसिस मरीजों को उपाध्याय श्री संबोधित करेंगे I आप श्री के मार्गदर्शन में  डायलिसिस के साथ ध्यान साधना  उपक्रम में सेकड़ो मरीज लाभान्वित हो रहे है I   उपाध्याय श्री आदि ठाणा 2 चातुर्मास पश्चात  आचार्य आनंदऋषीजी म.सा. की जन्मभूमि ग्राम चिचोंडी , जिला अहमदनगर महाराष्ट्र  की ओर  प्रस्थान कर रहे है । उपाध्याय श्री के मार्गदर्शन  से चिचोंडी में प्रस्तावीत ‘आनंदतीर्थ’ प्रकल्प के पहले चरण में ‘आनंद गुरूचरण तीर्थ’ का गुरू चरणों में समर्पण समारोह दिनांक 17 डिसंबर को आयोजीत किया जा रहा है ।

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